जमानत और जमानत बांड से संबंधित प्रावधान
जमानत और जमानत बांड से संबंधित प्रावधान (Provisions as to Bails and Bail Bonds)जमानत का उद्देश्य अभियुक्त को हिरासत से अस्थायी रूप से मुक्त करना है, जब तक कि मुकदमा चल रहा हो या अंतिम निर्णय नहीं आ जाता। यह कानूनी प्रक्रिया अभियुक्त और समाज दोनों के अधिकारों और सुरक्षा के संतुलन को बनाए रखने के लिए बनाई गई है।
1. जमानत (Bail) का अर्थ और प्रकार
जमानत का अर्थ (Meaning of Bail):
जमानत वह प्रक्रिया है जिसके तहत अभियुक्त को कुछ शर्तों के तहत अस्थायी रूप से रिहा किया जाता है।
- जमानत बांड (Bail Bond): यह एक लिखित अनुबंध है, जिसमें अभियुक्त यह वादा करता है कि वह मुकदमे के दौरान न्यायालय में उपस्थित रहेगा।
जमानत के प्रकार (Types of Bail):
- साधारण जमानत (Regular Bail):
- यह जमानत तब दी जाती है जब अभियुक्त को हिरासत में लिया गया हो और वह अपनी रिहाई के लिए आवेदन करता है।
- भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 436 और 437 के तहत प्रावधान।
- अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail):
- यह जमानत तब दी जाती है जब किसी व्यक्ति को अपनी गिरफ्तारी का अंदेशा हो।
- CrPC की धारा 438 के तहत प्रावधान।
- अंतरिम जमानत (Interim Bail):
- यह अस्थायी रूप से दी जाती है जब नियमित या अग्रिम जमानत का फैसला लंबित हो।
2. जमानत देने के मापदंड (Criteria for Granting Bail)
- अपराध की गंभीरता।
- अभियुक्त का आचरण और पृष्ठभूमि।
- न्यायालय में अभियुक्त की उपस्थिति की संभावना।
- न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डालने या गवाहों को प्रभावित करने का जोखिम।
3. पत्नी, बच्चों और माता-पिता का भरण-पोषण (Maintenance of Wife, Children, and Parents)
भरण-पोषण का अधिकार (Right to Maintenance):
भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत, पत्नी, बच्चों और माता-पिता को भरण-पोषण का अधिकार प्राप्त है।
- यह प्रावधान उन लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है जो अपने भरण-पोषण के लिए स्वयं सक्षम नहीं हैं।
मुख्य बिंदु:
- पत्नी का भरण-पोषण:
- पत्नी, जो स्वयं जीविका चलाने में असमर्थ है, अपने पति से भरण-पोषण का दावा कर सकती है।
- यह विवाहित और तलाकशुदा दोनों पत्नियों पर लागू होता है।
- बच्चों का भरण-पोषण:
- नाबालिग बच्चे या विकलांग बच्चे (जो स्वयं जीविका अर्जित करने में असमर्थ हैं) भरण-पोषण के पात्र होते हैं।
- यह विवाहेतर बच्चों पर भी लागू होता है।
- माता-पिता का भरण-पोषण:
- माता-पिता, जो स्वयं जीविका अर्जित करने में असमर्थ हैं, अपने पुत्र या पुत्री से भरण-पोषण का दावा कर सकते हैं।
उद्देश्य:
- यह सुनिश्चित करना कि कमजोर वर्ग के लोग अपनी मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित न हों।
- परिवार के सदस्यों के बीच जिम्मेदारी और सहयोग को बढ़ावा देना।
4. कार्यवाही में अनियमितता (Irregularity in Proceedings)
अर्थ (Meaning):
न्यायिक कार्यवाही में अनियमितता तब होती है जब न्यायिक प्रक्रिया का पालन सही ढंग से नहीं किया गया हो, जैसे किसी कानूनी प्रक्रिया को गलत तरीके से अपनाना या प्रक्रिया में त्रुटि होना।
मुख्य उदाहरण:
- जमानत देने में अनियमितता:
- यदि जमानत देते समय उचित शर्तों का पालन नहीं किया गया।
- गिरफ्तारी में अनियमितता:
- यदि गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने आवश्यक कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया।
- साक्ष्य संग्रह में त्रुटि:
- यदि पुलिस ने साक्ष्य संग्रह में प्रक्रियात्मक त्रुटियां कीं।
प्रावधान:
- CrPC की धारा 460 और 461 में कार्यवाही में अनियमितताओं से संबंधित प्रावधान दिए गए हैं।
प्रभाव (Impact):
- कार्यवाही में अनियमितता का मतलब यह नहीं है कि मुकदमा निरस्त हो जाएगा।
- न्यायालय इस बात का आकलन करता है कि अनियमितता का मामला या निर्णय पर क्या प्रभाव पड़ा है।
निवारण (Remedy):
- उच्च न्यायालय में पुनरीक्षण (Revision) या अपील के माध्यम से अनियमितता को चुनौती दी जा सकती है।
निष्कर्ष (Conclusion):
जमानत और जमानत बांड, भरण-पोषण के प्रावधान, और कार्यवाही में अनियमितता से संबंधित नियम न्यायिक प्रक्रिया के महत्वपूर्ण भाग हैं।
- जमानत और भरण-पोषण का उद्देश्य नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना है।
- कार्यवाही में अनियमितताओं को न्यायालय उचित तरीके से हल करता है ताकि न्यायिक प्रक्रिया की पवित्रता बनी रहे।