Liability of the State (राज्य की जिम्मेदारी ) एक कानूनी सिद्धांत है, जो यह तय करता है कि क्या और कब राज्य अपने कृत्यों और कार्यों के लिए जिम्मेदार है। सामान्यत: राज्य के खिलाफ कानूनी मामले लाने में कठिनाई होती है, क्योंकि राज्य को “sovereign immunity” (राज्य की असुरक्षा) के सिद्धांत से सुरक्षा प्राप्त होती है, यानी राज्य को सामान्यतः नागरिकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई से छूट होती है। फिर भी, आधुनिक कानूनी व्यवस्था में यह सिद्धांत बदला है और कुछ परिस्थितियों में राज्य को उसकी लापरवाही, गैरकानूनी कृत्य, या संवैधानिक कर्तव्यों के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

राज्य की जिम्मेदारी का निर्धारण इस आधार पर किया जाता है कि क्या राज्य का कृत्य एक व्यक्तिगत कर्तव्य का उल्लंघन है, क्या यह उसके शासनात्मक कार्यों से संबंधित है, और क्या यह किसी व्यक्ति की मूल अधिकारों का उल्लंघन करता है।


राज्य की जिम्मेदारी के प्रमुख सिद्धांत (Principles of State Liability)

  1. राज्य की सार्वभौमिक असुरक्षा (Sovereign Immunity):
    • पहले राज्य को उसकी शक्तियों और कृत्यों के लिए “sovereign immunity” का संरक्षण प्राप्त था। इसका मतलब था कि राज्य को कानूनी कार्रवाई से मुक्त रखा गया था, क्योंकि राज्य का कृत्य स्वयं कानून का रूप था।
    • लेकिन समय के साथ यह सिद्धांत बदल गया और अब राज्य को कई मामलों में जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, विशेषकर यदि उसका कृत्य संविधान या कानून का उल्लंघन करता है।
  2. संविधान और कानून के तहत जिम्मेदारी:
    • संविधान में राज्य की जिम्मेदारी को विशेष रूप से निर्धारित किया गया है। उदाहरण के लिए, भारतीय संविधान में कुछ अधिकारों और कर्तव्यों की व्याख्या की गई है, जिनके उल्लंघन के परिणामस्वरूप राज्य जिम्मेदार हो सकता है।
    • धारा 32 (संविधान के तहत मौलिक अधिकारों की सुरक्षा) के तहत, यदि राज्य किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, तो वह उस नागरिक के खिलाफ जिम्मेदार होगा।

राज्य की जिम्मेदारी के प्रकार (Types of State Liability)

  1. संवैधानिक कृत्यों के लिए जिम्मेदारी (Liability for Constitutional Acts):
    • जब राज्य संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करता है, लेकिन अगर वह इन कर्तव्यों का उल्लंघन करता है, तो राज्य जिम्मेदार हो सकता है। उदाहरण के लिए, यदि राज्य किसी नागरिक के अधिकारों का उल्लंघन करता है, तो संविधान के तहत राज्य को कानूनी रूप से जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
  2. न्यायिक कृत्यों के लिए जिम्मेदारी (Liability for Judicial Acts):
    • राज्य के न्यायिक कार्यों (जैसे अदालतों के फैसले) के लिए राज्य जिम्मेदार नहीं होगा, यदि न्यायिक अधिकारियों ने निर्णय लेने में कोई गलती की है, जब तक वह निर्णय कानून के अंतर्गत किया गया हो।
    • हालांकि, अगर न्यायिक अधिकारी ने जानबूझकर किसी गलत निर्णय दिया, तो राज्य को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
  3. प्रशासनिक कृत्यों के लिए जिम्मेदारी (Liability for Administrative Acts):
    • राज्य के प्रशासनिक कृत्य, जैसे कि पुलिस द्वारा किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी या बिना कारण उत्पीड़न, राज्य को जिम्मेदार ठहरा सकते हैं।
    • उदाहरण के लिए, अगर पुलिस द्वारा किसी व्यक्ति को अवैध रूप से गिरफ्तार किया जाता है, तो राज्य को उसकी गलत गिरफ्तारी के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
  4. नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन (Violation of Fundamental Rights):
    • यदि राज्य किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, तो उस व्यक्ति को राज्य के खिलाफ न्यायालय में शिकायत करने का अधिकार होता है।
    • उदाहरण के लिए, यदि राज्य के कृत्यों से किसी नागरिक के जीवन, स्वतंत्रता, या संपत्ति के अधिकार का उल्लंघन होता है, तो वह राज्य के खिलाफ मुकदमा दायर कर सकता है।

राज्य की जिम्मेदारी पर कुछ प्रमुख मामलों के उदाहरण (Examples of Cases Regarding State Liability)

  1. State of Rajasthan v. Vidyawati (1962):
    • इस मामले में, एक सरकारी वाहन द्वारा एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी। राज्य ने अपने वाहन चालक के कृत्य के लिए जिम्मेदारी से इंकार किया। कोर्ट ने यह निर्णय दिया कि राज्य को अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए, क्योंकि सरकार अपने प्रशासनिक कार्यों के दौरान कृत्य के लिए जिम्मेदार है।
  2. K.K. Verma v. Union of India (1954):
    • इस मामले में, एक व्यक्ति ने भारतीय रेल द्वारा उसे हुए नुकसान के लिए राज्य के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। अदालत ने फैसला सुनाया कि भारतीय रेल को उसके कृत्य के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
  3. Bajaj Auto Ltd. v. Union of India (2004):
    • इस मामले में राज्य की जिम्मेदारी का सवाल था कि क्या सरकार को अपने फैसलों में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए जवाबदेह ठहराया जा सकता है। कोर्ट ने निर्णय दिया कि राज्य को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए कार्रवाई करनी चाहिए।

राज्य की जिम्मेदारी के मामलों में बचाव (Defenses in Cases of State Liability)

राज्य के खिलाफ कानूनी कार्रवाई में कुछ परिस्थितियाँ होती हैं जब राज्य अपनी जिम्मेदारी से बच सकता है:

  1. कानूनी कार्यों के तहत (Acts in Good Faith):
    • यदि राज्य ने कोई कृत्य ईमानदारी से और कानून के तहत किया है, तो उसे जिम्मेदारी से मुक्त किया जा सकता है।
  2. सशस्त्र बलों द्वारा किए गए कार्य (Acts by Armed Forces):
    • अगर कोई कृत्य सशस्त्र बलों द्वारा किया जाता है, तो राज्य को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, जब तक यह कृत्य असंवैधानिक या गैरकानूनी न हो।
  3. सार्वजनिक नीति (Public Policy):
    • कभी-कभी राज्य अपनी जिम्मेदारी से बच सकता है यदि उसके कार्य सार्वजनिक नीति के अनुरूप हैं और यह सरकार के व्यापक लक्ष्यों को पूरा करता है।

निष्कर्ष (Conclusion):

राज्य की जिम्मेदारी एक महत्वपूर्ण कानूनी सिद्धांत है, जो यह सुनिश्चित करता है कि राज्य अपने नागरिकों के खिलाफ अपनी जिम्मेदारियों का पालन करे। हालांकि, राज्य को कुछ परिस्थितियों में कानूनी छूट प्राप्त होती है, फिर भी यह सिद्धांत यह सुनिश्चित करता है कि नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन होने पर राज्य को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है। राज्य की जिम्मेदारी पर विभिन्न मामलों के माध्यम से यह सिद्धांत विकसित हुआ है और यह आज भी लगातार लागू होता है।

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