Negligence as a Tort (लापरवाही) एक ऐसा कानूनी सिद्धांत है जिसके तहत यह माना जाता है कि एक व्यक्ति ने अपनी जिम्मेदारी का पालन ठीक से नहीं किया और उसके कारण दूसरे व्यक्ति को हानि पहुँचती है। यह एक civil wrong (नागरिक अपराध) है, जिसे किसी अन्य व्यक्ति को नुकसान पहुँचाने के कारण उत्तरदायी ठहराया जा सकता है। Negligence के तहत कानूनी प्रक्रिया में चार प्रमुख तत्व होते हैं:

  1. Duty to Take Care (सावधानी रखने का कर्तव्य)
  2. Breach of Duty (कर्तव्य का उल्लंघन)
  3. Consequent Damage (नुकसान का परिणाम)
  4. Contributory Negligence (योगदानपूर्ण लापरवाही)

1. Duty to Take Care (सावधानी रखने का कर्तव्य)

किसी व्यक्ति के खिलाफ लापरवाही का दावा करने के लिए, यह साबित करना आवश्यक है कि उस व्यक्ति के पास दूसरे व्यक्ति के प्रति सावधानी रखने का कानूनी कर्तव्य था।

  • सावधानी रखने का कर्तव्य तब उत्पन्न होता है जब एक व्यक्ति अपने कार्यों या व्यवहार के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति की सुरक्षा या भलाई के लिए जिम्मेदार होता है।
  • उदाहरण के लिए, एक ड्राइवर का कर्तव्य है कि वह सड़क पर चलने वाले पैदल यात्री को नुकसान न पहुँचाए। इसी तरह, एक डॉक्टर का कर्तव्य है कि वह अपने मरीजों को उचित देखभाल प्रदान करें।
  • कर्तव्य का निर्धारण आमतौर पर यह देख कर किया जाता है कि क्या यह संबंधी व्यक्ति के कार्यों से किसी अन्य व्यक्ति को संभावित रूप से नुकसान हो सकता है।

उदाहरण:

  • यदि एक दुकानदार किसी गीली जगह पर सामान रखते हैं, तो ग्राहकों के गिरने और चोटिल होने का खतरा हो सकता है, इसलिए दुकानदार का कर्तव्य है कि वह सावधानी बरते और दुकान में किसी प्रकार की खतरनाक स्थिति उत्पन्न न होने दे।

2. Breach of Duty (कर्तव्य का उल्लंघन)

जब एक व्यक्ति अपने कर्तव्य का पालन नहीं करता है, तो उसे breach of duty (कर्तव्य का उल्लंघन) कहा जाता है।

  • Breach तब होता है जब कोई व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी को ठीक से पूरा नहीं करता और उसके कार्यों या लापरवाही से दूसरे व्यक्ति को नुकसान पहुँचता है।
  • कर्तव्य का उल्लंघन तब साबित होता है जब यह दिखाया जाता है कि व्यक्ति ने सावधानी की अपेक्षित मानक को पूरा नहीं किया।
  • यह मानक आमतौर पर उस व्यक्ति की पेशेवर या सामान्य जिम्मेदारी के आधार पर निर्धारित किया जाता है।

उदाहरण:

  • अगर एक डॉक्टर ने अपने मरीज की सर्जरी करते समय उपयुक्त सावधानी नहीं बरती और इससे मरीज को नुकसान हुआ, तो इसे कर्तव्य का उल्लंघन माना जाएगा।
  • अगर एक ड्राइवर सिग्नल का उल्लंघन करता है और दुर्घटना कर देता है, तो यह कर्तव्य का उल्लंघन होगा।

3. Consequent Damage (नुकसान का परिणाम)

लापरवाही का एक और तत्व यह है कि उस कर्तव्य के उल्लंघन से वास्तविक नुकसान (damages) हुआ हो।

  • सिर्फ कर्तव्य का उल्लंघन ही पर्याप्त नहीं है; यह भी साबित करना आवश्यक है कि उल्लंघन के परिणामस्वरूप नुकसान हुआ।
  • इस नुकसान को actual damage (वास्तविक हानि) कहा जाता है और यह शारीरिक चोट, संपत्ति की हानि, मानसिक तनाव या वित्तीय नुकसान हो सकता है।
  • कृत्य और नुकसान के बीच का संबंध साबित करने के लिए यह दिखाना पड़ता है कि उल्लंघन के कारण हानि हुई।

उदाहरण:

  • यदि एक दुकानदार ने अपनी दुकान में पानी फैलाया और ग्राहक गिरकर घायल हो गया, तो ग्राहक को चिकित्सा बिल और दर्द का सामना करना पड़ सकता है, जो नुकसान (damage) के रूप में साबित होता है।

4. Contributory Negligence (योगदानपूर्ण लापरवाही)

कभी-कभी हानि केवल एक व्यक्ति के कारण नहीं होती, बल्कि दोनों पक्षों के लापरवाह व्यवहार के कारण होती है।

  • Contributory negligence तब लागू होता है जब पीड़ित व्यक्ति ने खुद भी किसी तरह की लापरवाही की हो, जिससे नुकसान और बढ़ गया हो।
  • अगर अदालत यह मानती है कि पीड़ित ने अपनी सुरक्षा में कोई योगदानपूर्ण लापरवाही की है, तो इस वजह से उसकी हानि को कम किया जा सकता है, और उसकी क्षतिपूर्ति में कमी हो सकती है।

उदाहरण:

  • अगर एक पैदल यात्री सड़कों पर चलते समय अपने फोन पर ध्यान दे रहा था और एक कार उससे टकरा गई, तो पैदल यात्री की अपनी लापरवाही को “contributory negligence” माना जा सकता है।
  • अगर किसी व्यक्ति ने बिना सुरक्षा गियर के बाइक चलाई और दुर्घटना हुई, तो उसकी लापरवाही को contributory negligence माना जाएगा।

निष्कर्ष (Conclusion):

नेग्लिजेंस एक tort है, जिसमें यह सिद्ध करना होता है कि एक व्यक्ति ने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया और दूसरे व्यक्ति को वास्तविक नुकसान हुआ। इसका निर्धारण चार प्रमुख तत्वों के आधार पर किया जाता है:

  1. Duty to take care – सावधानी रखने का कर्तव्य।
  2. Breach of duty – कर्तव्य का उल्लंघन।
  3. Consequent damage – नुकसान का परिणाम।
  4. Contributory negligence – योगदानपूर्ण लापरवाही (अगर पीड़ित की भी कोई लापरवाही हो)।

लापरवाही का मामला तब成立 होता है जब इन तत्वों का सही तरीके से पालन किया जाता है और जब यह साबित होता है कि किसी के लापरवाही भरे कृत्य से दूसरा व्यक्ति नुकसान पहुँचाता है।

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