भारत का Supreme Court सुप्रीम कोर्ट कोर्ट देश का सर्वोच्च न्यायिक निकाय है। इसे “संविधान का संरक्षक” और “न्याय का अंतिम अपीलीय न्यायालय” माना जाता है। सुप्रीम कोर्ट भारत के न्यायपालिका के शीर्ष पर स्थित है और इसका अधिकार क्षेत्र पूरे देश में फैला हुआ है।


संविधान में प्रावधान

सुप्रीम कोर्ट की स्थापना भारतीय संविधान के भाग V (संघ के न्यायपालिका) के तहत की गई है।

  • अनुच्छेद 124 से 147 में सुप्रीम कोर्ट से संबंधित प्रावधान दिए गए हैं।
  • सुप्रीम कोर्ट का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।

संरचना (Composition)

  • मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India – CJI):
    • सुप्रीम कोर्ट का प्रमुख होता है।
    • राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
  • अन्य न्यायाधीश (Judges):
    • अधिकतम 34 न्यायाधीश (CJI सहित) की नियुक्ति का प्रावधान है।
    • न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा मुख्य न्यायाधीश और वरिष्ठ न्यायाधीशों से परामर्श के आधार पर की जाती है।

न्यायाधीशों की योग्यता (Qualifications of Judges)

सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनने के लिए व्यक्ति को निम्नलिखित योग्यताएं पूरी करनी होती हैं:

  1. भारत का नागरिक होना चाहिए।
  2. किसी उच्च न्यायालय में या उच्च न्यायालयों में संयुक्त रूप से कम से कम 5 वर्षों तक न्यायाधीश रहा हो।
  3. एक अधिवक्ता के रूप में उच्च न्यायालय में कम से कम 10 वर्षों तक प्रैक्टिस की हो।
  4. राष्ट्रपति के विचार में व्यक्ति ऐसा होना चाहिए जिसने कानून के क्षेत्र में उत्कृष्ट ज्ञान प्रदर्शित किया हो।

कार्यक्षेत्र (Jurisdiction)

1. मूल क्षेत्राधिकार (Original Jurisdiction):

  • सुप्रीम कोर्ट का मूल क्षेत्राधिकार संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत आता है।
  • यह क्षेत्राधिकार मुख्यतः संघ और राज्यों के बीच या राज्यों के आपसी विवादों से संबंधित है।
  • उदाहरण:
    • संघ और राज्य के बीच विवाद।
    • दो या अधिक राज्यों के बीच विवाद।

2. अपील क्षेत्राधिकार (Appellate Jurisdiction):

  • सुप्रीम कोर्ट भारत का सबसे ऊँचा अपीलीय न्यायालय है।
  • यह आपराधिक, सिविल, या संवैधानिक मामलों में उच्च न्यायालयों के निर्णयों के खिलाफ अपील सुनता है।
  • अनुच्छेद 132, 133, और 134 इसके तहत आते हैं।

3. सलाहकार क्षेत्राधिकार (Advisory Jurisdiction):

  • अनुच्छेद 143 के तहत राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट से किसी भी विधिक या संवैधानिक प्रश्न पर राय मांग सकते हैं।
  • यह राय बाध्यकारी नहीं होती।

4. संवैधानिक क्षेत्राधिकार (Constitutional Jurisdiction):

  • अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट को मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए विशेष क्षेत्राधिकार दिया गया है।
  • सुप्रीम कोर्ट मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर रिट जारी कर सकता है।

5. विशेष अनुमति क्षेत्राधिकार (Special Leave Jurisdiction):

  • अनुच्छेद 136 के तहत सुप्रीम कोर्ट को किसी भी न्यायालय या न्यायाधिकरण से संबंधित मामलों को सुनने का विशेष अधिकार है।

सुप्रीम कोर्ट की शक्तियां और कार्य (Powers and Functions of Supreme Court)

1. संविधान का संरक्षक (Guardian of the Constitution):

  • सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेदों की व्याख्या करता है।
  • यह सुनिश्चित करता है कि संसद और कार्यपालिका संविधान के अनुरूप कार्य करें।

2. मौलिक अधिकारों की रक्षा (Protection of Fundamental Rights):

  • अनुच्छेद 32 के तहत, सुप्रीम कोर्ट नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए रिट जारी करता है।
  • रिट के प्रकार:
    • हैबियस कॉर्पस, मैंडमस, प्रोहिबिशन, क्वो वारंटो, और सर्टियोरारी

3. विधायी और कार्यकारी कार्यों की वैधता की जांच:

  • सुप्रीम कोर्ट विधायी या कार्यकारी निर्णयों को न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) के तहत चुनौती दे सकता है।

4. संधियों और समझौतों की व्याख्या:

  • सुप्रीम कोर्ट भारत सरकार द्वारा किए गए अंतरराष्ट्रीय समझौतों की वैधता की व्याख्या करता है।

5. अपील सुनवाई:

  • सुप्रीम कोर्ट निचली अदालतों और उच्च न्यायालयों के निर्णयों के खिलाफ अपील सुनता है।

6. चुनावी विवाद:

  • राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव संबंधी विवाद सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।

स्वतंत्रता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के उपाय (Safeguards for Independence):

  1. न्यायाधीशों की सुरक्षा:
    • न्यायाधीशों को कार्यकाल के दौरान निष्कासित नहीं किया जा सकता, सिवाय महाभियोग (Impeachment) प्रक्रिया के।
  2. वेतन और भत्ते:
    • न्यायाधीशों के वेतन और भत्ते संसद द्वारा तय किए जाते हैं और यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए संरक्षित हैं।
  3. पद पर रहते हुए आलोचना का प्रतिबंध:
    • पद पर रहते हुए न्यायाधीशों की कार्रवाई पर संसद या किसी अन्य संस्था में चर्चा नहीं की जा सकती।

महत्व (Significance of Supreme Court)

  1. न्याय की गारंटी: यह देश के हर नागरिक को न्याय की गारंटी देता है।
  2. संवैधानिक संतुलन: यह कार्यपालिका, विधायिका, और न्यायपालिका के बीच संतुलन बनाए रखने का कार्य करता है।
  3. मौलिक अधिकारों की रक्षा: यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों का संरक्षक है।
  4. कानूनी प्रावधानों की व्याख्या: कानून और संविधान की व्याख्या में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका निर्णायक होती है।

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