सामूहिक दायित्व (Group Liability) का अर्थ है कि जब एक से अधिक व्यक्ति मिलकर अपराध करते हैं, तो सभी को सामूहिक रूप से जिम्मेदार ठहराया जाता है। भारतीय कानून के तहत, यदि किसी समूह ने अपराध को अंजाम देने में भाग लिया है, तो प्रत्येक सदस्य को समान रूप से दोषी माना जाता है।


1. सामान्य नीयत (Common Intention)

  • परिभाषा:
    सामान्य नीयत का तात्पर्य है कि दो या दो से अधिक व्यक्तियों ने एक समान उद्देश्य या अपराध को अंजाम देने के लिए आपसी सहमति और योजना बनाई।
  • महत्व:
    यदि अपराध को अंजाम देने में सभी ने सक्रिय भाग लिया हो, तो हर व्यक्ति को समान रूप से जिम्मेदार ठहराया जाता है, चाहे किसी ने प्रत्यक्ष रूप से अपराध किया हो या नहीं।
  • उदाहरण:
    • दो लोग मिलकर चोरी करने की योजना बनाते हैं। यदि केवल एक व्यक्ति ने चोरी की, तो दूसरा व्यक्ति भी उतना ही दोषी होगा।
    • यदि एक व्यक्ति ने किसी को पकड़े रखा और दूसरे ने हत्या की, तो दोनों को हत्या का दोषी माना जाएगा।
  • भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 34:
    यह धारा सामूहिक नीयत के लिए जिम्मेदारी तय करती है।

2. अभिप्रेरण (Abetment)

  • परिभाषा:
    अपराध करने के लिए किसी को उकसाना, सहायता देना या उसे प्रोत्साहित करना “अभिप्रेरण” कहलाता है।
  • अभिप्रेरण के प्रकार:
    • उकसाना (Instigation): किसी को अपराध करने के लिए प्रेरित करना।
    • सहायता देना (Aid): अपराध करने में किसी प्रकार की सहायता प्रदान करना।
    • षड्यंत्र (Conspiracy): अपराध को अंजाम देने के लिए योजना बनाना।
  • महत्व:
    यदि कोई व्यक्ति अपराध के लिए प्रेरित करता है, तो उसे भी उसी प्रकार का दोषी माना जाएगा, जैसे अपराध को करने वाला।
  • उदाहरण:
    • किसी को हत्या के लिए हथियार देना।
    • किसी को चोरी करने के लिए प्रोत्साहित करना।

3. अवैध जमावड़ा (Unlawful Assembly)

  • परिभाषा:
    यदि पांच या अधिक लोग किसी गैरकानूनी उद्देश्य के लिए इकट्ठा होते हैं, तो इसे “अवैध जमावड़ा” कहा जाता है।
  • गैरकानूनी उद्देश्य:
    • किसी को डराना, धमकाना।
    • कानून और व्यवस्था को तोड़ना।
    • दूसरों को चोट पहुंचाना।
  • भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 141:
    यह धारा अवैध जमावड़े को परिभाषित करती है।
  • उदाहरण:
    • यदि पांच लोग मिलकर किसी को मारने की योजना बनाते हैं और हथियार लेकर उसके घर जाते हैं।
    • दंगे के उद्देश्य से इकट्ठा होना।

4. आपराधिक साजिश (Criminal Conspiracy)

  • परिभाषा:
    दो या अधिक व्यक्तियों द्वारा किसी अपराध को अंजाम देने के लिए योजना बनाना “आपराधिक साजिश” कहलाता है।
  • महत्व:
    साजिश करने वाले सभी व्यक्तियों को दोषी माना जाता है, भले ही उन्होंने अपराध में सक्रिय भाग नहीं लिया हो।
  • भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120B:
    यह धारा आपराधिक साजिश के लिए दंड का प्रावधान करती है।
  • उदाहरण:
    • बैंक लूटने की योजना बनाना।
    • किसी को जान से मारने की योजना बनाना।

5. दंगा – एक विशिष्ट अपराध के रूप में (Rioting as a Specific Offence)

  • परिभाषा:
    यदि अवैध जमावड़े में शामिल लोग हिंसा करते हैं या सार्वजनिक शांति भंग करते हैं, तो इसे “दंगा” कहा जाता है।
  • महत्व:
    जो भी व्यक्ति इस जमावड़े का हिस्सा होगा, उसे दंगे का दोषी माना जाएगा, भले ही उसने प्रत्यक्ष रूप से हिंसा न की हो।
  • भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 146 और 147:
    ये धाराएँ दंगे और उससे जुड़े अपराधों को परिभाषित करती हैं।
  • उदाहरण:
    • भीड़ द्वारा किसी दुकान को लूटना।
    • सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना।

निष्कर्ष:

सामूहिक दायित्व के तहत, यदि कोई व्यक्ति अपराध करने वाले समूह का हिस्सा है, तो वह उसी प्रकार से जिम्मेदार ठहराया जाएगा जैसे अपराध को प्रत्यक्ष रूप से करने वाले व्यक्ति। इसके पीछे उद्देश्य यह है कि कानून समूह के प्रभाव और एकता से किए गए अपराधों को रोक सके।