A. मालिक और सेवक का संबंध (Master and Servant Relationship)
मालिक और सेवक का संबंध एक विशेष प्रकार के अनुबंध द्वारा निर्धारित होता है, जिसमें सेवक मालिक के लिए कार्य करता है और उसकी दिशा-निर्देशों का पालन करता है। इस संबंध में, सेवक मालिक के निर्देशन और नियंत्रण के अधीन होता है। यदि सेवक कार्यक्षेत्र के भीतर कोई गलती करता है, तो सामान्यतः उसके कार्यों की जिम्मेदारी मालिक पर आ जाती है। इस प्रकार का दायित्व विकेरियस लायबिलिटी (Vicarious Liability) के सिद्धांत पर आधारित होता है।

B. सेवक कौन है? (Who is a Servant)
सेवक वह व्यक्ति है जो:

  1. मालिक के निर्देशानुसार कार्य करता है।
  2. उसके कार्य के तरीके और प्रक्रिया पर मालिक का नियंत्रण होता है।
  3. सेवक और मालिक के बीच का संबंध एक अनुबंध पर आधारित होता है, जो वेतन या पारिश्रमिक के रूप में सेवक को भुगतान सुनिश्चित करता है।
    उदाहरण: घरेलू नौकर, निजी ड्राइवर, फैक्ट्री कर्मचारी।

C. सेवक को उधार देना (Lending a Servant)
जब मूल मालिक अपने सेवक को अस्थायी रूप से किसी तीसरे व्यक्ति को सौंप देता है, तो सेवक की गतिविधियों के लिए दायित्व का निर्धारण इस बात पर निर्भर करता है कि उस समय सेवक किसके नियंत्रण में था।

  1. मूल मालिक का नियंत्रण: यदि सेवक कार्य करते समय अपने मूल मालिक के आदेशों का पालन कर रहा है, तो उसके कार्यों की जिम्मेदारी मूल मालिक पर बनी रहती है।
  2. उधार लेने वाले मालिक का नियंत्रण: यदि सेवक अस्थायी रूप से उधार लेने वाले मालिक के नियंत्रण और निर्देशन में काम कर रहा है, तो उस समय के कार्यों के लिए नया मालिक जिम्मेदार होता है।
    उदाहरण: एक निर्माण कंपनी अपने क्रेन ऑपरेटर को दूसरी कंपनी के प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए भेजती है।

D. कार्यक्षेत्र के भीतर सेवक की गतिविधियां (Course of Employment)
सेवक के कार्यक्षेत्र के भीतर की गई सभी गतिविधियां मालिक की जिम्मेदारी के तहत आती हैं। मालिक सेवक की गलतियों, लापरवाहियों, या जानबूझकर किए गए कृत्यों के लिए तब जिम्मेदार होता है जब वह कृत्य सेवक के कार्यक्षेत्र के भीतर और मालिक के निर्देशानुसार किया गया हो।

  1. लापरवाही (Carelessness of Servant):
    यदि सेवक अपने कार्य में लापरवाही बरतता है और उससे किसी अन्य को नुकसान होता है, तो मालिक जिम्मेदार होगा।
    उदाहरण: एक ड्राइवर का तेज गति से गाड़ी चलाना और दुर्घटना कर देना।
  2. गलती (Mistake of Servant):
    सेवक द्वारा अनजाने में की गई गलती के लिए भी मालिक उत्तरदायी होगा, बशर्ते वह गलती कार्यक्षेत्र के अंतर्गत की गई हो।
    उदाहरण: एक डिलीवरी मैन का गलत पते पर सामान पहुंचा देना।
  3. जानबूझकर की गई गलती (Willful Act of Servant):
    यदि सेवक किसी कार्य को जानबूझकर नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से करता है, तो मालिक केवल तभी जिम्मेदार होगा जब वह कार्य मालिक के आदेश या निर्देश के अनुसार किया गया हो।
    उदाहरण: सिक्योरिटी गार्ड का मालिक के निर्देश पर किसी व्यक्ति को जबरदस्ती बाहर निकालना।

E. मालिक और सेवक के परस्पर अधिकार एवं दायित्व (Mutual Rights and Obligations of Master and Servant)

  1. मालिक के अधिकार:
    • सेवक को अनुशासन में रखना।
    • सेवक से अनुबंधित कार्य कराना।
    • कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित करना।
    • सेवक की लापरवाही या गलती पर उचित कार्रवाई करना।
  2. मालिक के दायित्व:
    • सेवक को वेतन या पारिश्रमिक प्रदान करना।
    • सेवक को सुरक्षित कार्यक्षेत्र देना।
    • सेवक को अत्यधिक कार्य या अवैध गतिविधियों के लिए बाध्य न करना।
  3. सेवक के अधिकार:
    • उचित वेतन प्राप्त करना।
    • सुरक्षित और स्वच्छ कार्य वातावरण की मांग।
    • अनुबंध के अनुसार कार्य की सीमा निर्धारित करना।
  4. सेवक के दायित्व:
    • मालिक के आदेशों का पालन करना।
    • कार्य में ईमानदारी और निष्ठा बनाए रखना।
    • कार्यक्षेत्र के भीतर और बाहर मालिक की प्रतिष्ठा का सम्मान करना।

स्वतंत्र ठेकेदार (Independent Contractor)
स्वतंत्र ठेकेदार और सेवक के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर होता है। स्वतंत्र ठेकेदार वह व्यक्ति है जो किसी कार्य को करने के लिए मालिक के साथ अनुबंध करता है, लेकिन कार्य करने के तरीके और प्रक्रिया पर मालिक का कोई नियंत्रण नहीं होता।

  • मालिक केवल ठेकेदार द्वारा दिए गए परिणाम के लिए जिम्मेदार होता है, न कि कार्य को करने की प्रक्रिया के लिए।
    उदाहरण: एक बिल्डिंग ठेकेदार जो निर्माण कार्य करता है।

मुख्य अंतर:

  • सेवक मालिक के निर्देश और नियंत्रण में कार्य करता है।
  • स्वतंत्र ठेकेदार कार्य की प्रक्रिया में स्वतंत्र होता है।

निष्कर्ष (Conclusion):
मालिक और सेवक के संबंध में दायित्व का निर्धारण सेवक की गतिविधियों, कार्यक्षेत्र, और नियंत्रण के आधार पर किया जाता है। यह संबंध न केवल पारस्परिक विश्वास और अनुबंध पर आधारित है, बल्कि सेवक और मालिक दोनों के अधिकारों और दायित्वों का स्पष्ट निर्धारण भी आवश्यक है।

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