लोक अदालत (People’s Court) भारत में एक वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली है। यह न्याय प्रदान करने का एक अनौपचारिक मंच है, जहां विवादों का निपटारा आपसी सहमति से किया जाता है। लोक अदालत को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39-ए में प्रदत्त “न्याय तक समान पहुंच” की अवधारणा को साकार करने के लिए स्थापित किया गया है।
लोक अदालत की विशेषताएं:
- सस्ता और त्वरित न्याय:
लोक अदालत में मुकदमों पर खर्च न के बराबर होता है और निर्णय जल्दी लिया जाता है। - आपसी सहमति से समाधान:
विवादों का निपटारा पक्षकारों के बीच आपसी समझौते से किया जाता है। - अदालत का वैध निर्णय:
लोक अदालत में लिया गया निर्णय न्यायालय का आदेश माना जाता है और यह बाध्यकारी होता है। - अपील का अधिकार नहीं:
लोक अदालत के फैसले के खिलाफ अपील नहीं की जा सकती। - लचीलापन:
यहां पर औपचारिक कानूनी प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं होती।
किन मामलों में लोक अदालत में सुनवाई होती है?
- सिविल विवाद (जमीन, संपत्ति आदि)।
- वैवाहिक विवाद।
- वाहन दुर्घटना के दावे।
- श्रम विवाद।
- बिजली और जल कर के मामले।
- बैंक ऋण विवाद।
लोक अदालत का आयोजन
लोक अदालत का आयोजन राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA), राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा किया जाता है।
लोक अदालत के लाभ
- समय की बचत।
- न्याय प्रक्रिया का सरलीकरण।
- विवादों का सौहार्दपूर्ण निपटारा।
- समाज में शांति और सामंजस्य बनाए रखने में योगदान।
लोक अदालत न्यायिक प्रणाली का एक ऐसा महत्वपूर्ण पहलू है, जो समाज में न्याय को सरल, त्वरित और सुलभ बनाता है।