“विधि (law) से जनमत (public opinion) बनता है या जनमत से विधि का निर्माण होता है” गहन सामाजिक और कानूनी विश्लेषण की मांग करता है।
1. विधि से जनमत बनता है (Law Shapes Public Opinion):
- कानून का प्रभाव:
- जब एक कानून लागू होता है, तो वह समाज में नैतिकता और व्यवहार के मानकों को प्रभावित करता है।
- उदाहरण: पर्यावरण संरक्षण कानूनों ने लोगों को पर्यावरण के महत्व के प्रति जागरूक किया और उनका व्यवहार बदला।
- शिक्षा और जागरूकता:
- कानून लोगों को शिक्षित करता है कि क्या सही है और क्या गलत। जैसे, बाल विवाह निषेध कानून ने यह संदेश दिया कि यह सामाजिक रूप से अस्वीकार्य है।
- सजा का डर:
- कानून का पालन न करने पर दंड का प्रावधान होने से लोग नियमों को मानने के लिए प्रेरित होते हैं, जिससे जनमत भी बदलता है।
2. जनमत से विधि का निर्माण (Public Opinion Shapes Law):
- लोकतंत्र और जनता की आवाज़:
- लोकतांत्रिक व्यवस्था में कानून जनता की जरूरतों और इच्छाओं के आधार पर बनते हैं।
- उदाहरण: महिलाओं के अधिकार, LGBTQ+ अधिकार, और जातिगत भेदभाव के खिलाफ कानून जनमत के कारण ही बने हैं।
- सामाजिक आंदोलन:
- जब जनता बड़े पैमाने पर किसी मुद्दे को उठाती है, तो सरकार या विधायिका उस पर कानून बनाने को बाध्य होती है।
- उदाहरण: निर्भया कांड के बाद यौन हिंसा के खिलाफ सख्त कानून बनाए गए।
- परिवर्तनशील समाज:
- जैसे-जैसे समाज में विचारधारा बदलती है, वैसे-वैसे नए कानून बनते हैं।
3. दोनों का सह-संबंध (Interdependence):
- यह कहना गलत होगा कि सिर्फ कानून या जनमत अकेले प्रभावी हैं।
- उदाहरण:
- दहेज निषेध कानून (Dowry Prohibition Act) पहले बना, लेकिन इसे प्रभावी बनाने के लिए समाज में जागरूकता बढ़ाने और जनमत तैयार करने की जरूरत थी।
- वहीं, सामाजिक आंदोलनों से उपजी मांगों ने शिक्षा का अधिकार (Right to Education) और मनरेगा (MGNREGA) जैसे कानून बनाए।
4. व्यावहारिक दृष्टिकोण (Practical Perspective):
- कानून और जनमत एक-दूसरे को प्रेरित करते हैं।
- कानून बनाने के लिए समाज की सोच और व्यवहार को समझना जरूरी है, और कानून लागू होने के बाद वह समाज की सोच को नई दिशा देता है।
जनमत और विधि के बीच गहरा संबंध है। कभी-कभी विधि जनमत को आकार देती है, तो कभी-कभी जनमत विधि के निर्माण का कारण बनता है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं और मिलकर एक बेहतर समाज के निर्माण में योगदान देते हैं।
विधि (Law) और जनमत (Public Opinion) का एक-दूसरे पर गहरा प्रभाव है।
मुख्य बिंदु:
- विधि का उद्देश्य:
- पैटन के अनुसार, विधि का मुख्य कार्य मानव के परस्पर विरोधी सामाजिक हितों में संतुलन एवं समन्वय बनाना है।
- विधि समाज में सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों को प्रतिबिंबित करती है।
- विधि और न्यायालय के निर्णय:
- कई निर्णय जैसे ‘बनारस एशियन रिसर्च सेंटर बनाम यूनियन ऑफ इंडिया’ और अन्य मामलों में न्यायालय ने जनकल्याण को प्राथमिकता दी है।
- इससे विधि के ज़रिये जनमत को सुधारने और मार्गदर्शन देने की प्रक्रिया सामने आती है।
- जनमत से विधि का निर्माण:
- जनमत के दबाव से विधियाँ बनती हैं। उदाहरण स्वरूप:
- महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा ने दंड विधि संशोधन अधिनियम, 2018 को जन्म दिया।
- जनता की मांग और आंदोलनों के कारण विधि निर्मित होती है।
- जनमत के दबाव से विधियाँ बनती हैं। उदाहरण स्वरूप:
- विधि और जनमत के बीच सह-संबंध:
- विधि का निर्माण जनमत को मार्गदर्शन देता है और कभी-कभी जनमत के अनुसार विधियाँ बनती हैं।
- जब विधि जनता की भावनाओं के विपरीत होती है, तो उसका विरोध होता है।
- प्रमुख उदाहरण:
- महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून।
- ताजमहल को प्रदूषण से बचाने के लिए न्यायालय का आदेश।
निष्कर्ष:
विधि और जनमत परस्पर निर्भर होते हैं। विधि जनमत को दिशा देती है, जबकि जनमत विधि के निर्माण में उत्प्रेरक का कार्य करता है। दोनों की सहमति से ही सामाजिक और कानूनी परिवर्तनों को मूर्त रूप दिया जा सकता है।