बहु विवाह निषेधित कानून (Prohibition of Bigamy Law) भारत में एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान है, जिसका उद्देश्य एक व्यक्ति द्वारा एक से अधिक विवाह करने (बहुविवाह) की प्रथा को रोकना और परिवार और समाज में समानता और न्याय सुनिश्चित करना है।

बहुविवाह क्या है?

बहुविवाह का अर्थ है एक व्यक्ति द्वारा एक समय में एक से अधिक विवाह करना। यह प्रथा विशेष रूप से पुरुषों के लिए लागू होती है, जहां एक पुरुष अपनी पहली पत्नी के रहते हुए दूसरी शादी कर सकता है। यह प्रथा समाज में सामाजिक और कानूनी विवाद उत्पन्न करती है, और महिला के अधिकारों और सम्मान पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।

भारत में बहुविवाह निषेध कानून का इतिहास:

भारत में बहुविवाह की प्रथा समाज में कुछ क्षेत्रों में प्रचलित थी, लेकिन भारत के संविधान और कानूनी व्यवस्था ने इसे निषेध करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

  1. हिंदू विवाह अधिनियम 1955:
    • हिंदू समाज में बहुविवाह पर रोक लगाने के लिए हिंदू विवाह अधिनियम (Hindu Marriage Act), 1955 पारित किया गया। इस अधिनियम के तहत, यदि एक व्यक्ति ने पहले से शादी कर रखी हो, तो वह दूसरी शादी नहीं कर सकता। इस कानून के अंतर्गत, बहु विवाह एक अपराध माना जाता है और यह कानूनी रूप से निषेधित है।
    • यदि कोई व्यक्ति इस कानून का उल्लंघन करता है, तो उसकी दूसरी शादी अवैध मानी जाती है और उसे दंड का सामना करना पड़ सकता है।
  2. विशेष विवाह अधिनियम 1954:
    • यह अधिनियम उन व्यक्तियों के लिए लागू होता है, जो हिंदू विवाह अधिनियम के दायरे में नहीं आते। विशेष विवाह अधिनियम के तहत भी बहुविवाह को निषेधित किया गया है और यह सुनिश्चित किया गया है कि एक व्यक्ति एक ही समय में केवल एक ही व्यक्ति से विवाह कर सकता है।
  3. मुसलमानों के लिए कानून:
    • मुसलमान पर्सनल लॉ के तहत, एक मुस्लिम व्यक्ति को अधिकतम चार विवाह करने की अनुमति होती है, बशर्ते कि वह अपनी सभी पत्नियों के प्रति समान व्यवहार करता हो। हालांकि, इस प्रथा पर सामाजिक और कानूनी दबाव बढ़ने के बाद, कई राज्यों में इसे नियंत्रित करने के लिए विभिन्न पहल की गई हैं।
  4. समाज में दबाव और न्यायालय:
    • भारतीय अदालतों ने बहुविवाह को समाज में असमानता और महिला अधिकारों का उल्लंघन मानते हुए इस प्रथा के खिलाफ निर्णय दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट्स ने कई मामलों में बहुविवाह को अवैध घोषित किया है और इसके खिलाफ सजा का प्रावधान किया है।

बहुविवाह निषेध कानून के मुख्य प्रावधान:

  1. एक व्यक्ति के लिए केवल एक विवाह:
    • हिंदू विवाह अधिनियम के तहत, अगर कोई व्यक्ति पहले से शादीशुदा है, तो वह दूसरी शादी नहीं कर सकता। यदि वह ऐसा करता है, तो उसकी दूसरी शादी अवैध मानी जाएगी।
  2. दंड और सजा:
    • यदि कोई व्यक्ति अवैध रूप से दूसरा विवाह करता है, तो उसे सजा हो सकती है, जो दंडात्मक कारावास (up to 7 years) और जुर्माना हो सकता है।
    • इसके अलावा, यदि किसी व्यक्ति का विवाह अवैध घोषित किया जाता है, तो उसकी पत्नी को आर्थिक सहायता प्राप्त करने का अधिकार नहीं होता।
  3. महिलाओं की सुरक्षा:
    • यह कानून महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा करता है और यह सुनिश्चित करता है कि वे समान अधिकार और सम्मान के साथ जीवन व्यतीत कर सकें।
    • महिलाओं को यह अधिकार मिलता है कि वे अपनी शादी को अवैध घोषित करने के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकती हैं यदि उनके पति ने दूसरी शादी की हो।
  4. विवाह का दर्जा और वैधता:
    • बहुविवाह को निषेधित करने के बाद, दूसरा विवाह कानूनी रूप से वैध नहीं माना जाता और इसका कोई कानूनी प्रभाव नहीं पड़ता। यदि पहली पत्नी ने दूसरा विवाह किया है, तो उसे अपने पति के साथ विवाह का दर्जा नहीं मिलेगा।

कानूनी दृषटिकोन से बहुविवाह निषेध:

  1. महिलाओं के अधिकारों की रक्षा:
    • यह कानून महिलाओं को बहुविवाह जैसी अत्याचारपूर्ण प्रथाओं से सुरक्षा प्रदान करता है और उनके समान अधिकार की रक्षा करता है। इससे महिलाओं को यह सुनिश्चित होता है कि वे एक ही समय में अपने पति के साथ वैध रिश्ते में होंगी, और उनकी स्थिति को कानूनी रूप से सुरक्षित किया जाएगा।
  2. समाज में सुधार:
    • यह कानून समाज में समानता और न्याय लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे महिलाओं को सम्मान मिलता है और उन्हें परिवार में समान स्थिति में रखा जाता है।
  3. कानूनी सुरक्षा:
    • यदि कोई व्यक्ति अवैध रूप से दूसरा विवाह करता है, तो पहले की पत्नी को अपनी आर्थिक सुरक्षा और मानवाधिकारों की रक्षा का अधिकार मिलता है। वह कानून के तहत अपने अधिकारों को हासिल कर सकती है, जिसमें विरासत का अधिकार भी शामिल है।

निष्कर्ष:

बहुविवाह निषेध कानून एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो भारतीय समाज में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करता है। यह कानून यह सुनिश्चित करता है कि एक व्यक्ति एक समय में केवल एक व्यक्ति से ही विवाह कर सकता है, और बहुविवाह को अवैध मानता है। इसके माध्यम से समाज में समानता, न्याय और महिलाओं के सम्मान को बढ़ावा दिया गया है।

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