श्रम कल्याण और सामाजिक सुरक्षा के कानून भारत में कामकाजी व्यक्तियों के अधिकारों और कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं। इन कानूनों का उद्देश्य श्रमिकों को सुरक्षा, आधारभूत अधिकार, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है ताकि वे एक सम्मानजनक जीवन जी सकें। ये कानून श्रमिकों के कार्यस्थल पर सुरक्षा, स्वास्थ्य संबंधी सुविधा, और आर्थिक सुरक्षा को सुनिश्चित करते हैं।
भारत में श्रम कल्याण और सामाजिक सुरक्षा के लिए विभिन्न कानून बनाए गए हैं, जो श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, दुर्घटना, असमानता और विभिन्न सामाजिक परेशानियों से संबंधित मुद्दों को कवर करते हैं।
1. श्रम कल्याण के उद्देश्य:
श्रम कल्याण का मुख्य उद्देश्य कामकाजी व्यक्तियों के जीवन स्तर में सुधार करना और उन्हें स्वास्थ्य और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है। इसमें वे सभी उपाय शामिल होते हैं, जो श्रमिकों की सामाजिक भलाई, मानवाधिकारों और जीवन के अधिकारों की रक्षा करते हैं।
2. श्रम कल्याण कानूनों के मुख्य प्रावधान:
i. श्रम संहिता (Labour Code):
भारत सरकार ने विभिन्न श्रम कानूनों को समेकित करने और सरल बनाने के लिए श्रम संहिता (Labour Code) की दिशा में कदम उठाया है। इसमें चार प्रमुख श्रम संहिता शामिल हैं:
- श्रम संहिता (व्यवसायों, उद्योगों, व्यापारों और संस्थाओं से संबंधित): यह संहिता कामकाजी परिस्थितियों, श्रमिकों के अधिकारों और श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा के अधिकारों पर ध्यान केंद्रित करती है।
- औद्योगिक विवाद संहिता: यह कानून कर्मचारियों और नियोक्ता के बीच होने वाले औद्योगिक विवादों के समाधान से संबंधित है।
- वेतन संहिता: यह संहिता श्रमिकों के वेतन, भत्तों और अनिवार्य लाभों को निर्धारित करती है।
- सामाजिक सुरक्षा संहिता: यह श्रमिकों को स्वास्थ्य देखभाल, रिटायरमेंट लाभ, आय सुरक्षा और अन्य बुनियादी आवश्यकताओं से सुरक्षा प्रदान करती है।
ii. कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम (Employees’ State Insurance Act):
यह कानून श्रमिकों और उनके परिवारों के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करता है। यह कानून उन कर्मचारियों के लिए लागू है, जिनकी आय एक निश्चित सीमा से कम है। इसके अंतर्गत बीमा, स्वास्थ्य सेवाएं, और रिटायरमेंट के लाभ प्रदान किए जाते हैं। यदि कोई कर्मचारी काम करते वक्त बीमार होता है या दुर्घटनाग्रस्त होता है, तो उसे ईएसआई (ESI) योजना के तहत आर्थिक सहायता और स्वास्थ्य सेवाएं दी जाती हैं।
iii. कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम (Employees’ Provident Fund and Miscellaneous Provisions Act):
यह कानून श्रमिकों के रिटायरमेंट के लिए भविष्य निधि (Provident Fund) की व्यवस्था करता है। इसमें कर्मचारियों की नौकरी के दौरान योगदान होता है, और इसे रिटायरमेंट या किसी अन्य कारण से काम छोड़ने पर निकाला जा सकता है। इसके अलावा, यह कानून पेंशन, मृत्यु लाभ और नौकरी के दौरान आकस्मिकता के लिए भी सुरक्षा प्रदान करता है।
iv. मातृत्व लाभ (Maternity Benefit) अधिनियम:
यह कानून महिलाओं को प्रसव के दौरान और प्रसव के बाद समय के दौरान आराम और आर्थिक सहायता प्रदान करता है। इसके तहत प्रसव के बाद 26 सप्ताह तक वेतन का भुगतान किया जाता है। इसके अलावा, इसे लागू करने से महिलाओं के कार्यस्थल पर आर्थिक और शारीरिक सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
v. श्रमिकों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण (Factories Act):
यह कानून कार्यस्थलों पर श्रमिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए बनाए गए नियमों को नियंत्रित करता है। इसके तहत, श्रमिकों को स्वच्छ और सुरक्षित कार्य वातावरण प्रदान करने के लिए सुरक्षा उपकरण और स्वास्थ्य सेवाएं दी जाती हैं। इसके अलावा, यह कानून कामकाजी घंटे, छुट्टियाँ और कार्यस्थल पर होने वाले खतरों से बचाव के उपायों पर भी ध्यान देता है।
vi. न्यूनतम वेतन अधिनियम (Minimum Wages Act):
यह कानून श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन सुनिश्चित करता है। इसके तहत, सभी श्रमिकों को एक न्यूनतम वेतन देना अनिवार्य होता है, ताकि वे अपने परिवार का भरण पोषण अच्छे से कर सकें। न्यूनतम वेतन अधिनियम के तहत, उद्योगों और श्रमिकों के काम के प्रकार के आधार पर न्यूनतम वेतन निर्धारित किया जाता है।
vii. कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा (Sexual Harassment of Women at Workplace Act):
यह कानून महिलाओं के खिलाफ कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए बनाया गया है। इसके तहत, कार्यस्थल पर महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाता है। अगर किसी महिला के साथ यौन उत्पीड़न होता है तो उसे न्यायिक सहायता और विधिक संरक्षण प्राप्त होता है।
3. सामाजिक सुरक्षा कानून:
सामाजिक सुरक्षा के अंतर्गत वे सभी योजनाएं और सुविधाएँ आती हैं, जिनका उद्देश्य श्रमिकों और उनके परिवारों को किसी भी आकस्मिक स्थिति, बीमारी, विकलांगता या रिटायरमेंट में वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है।
i. जीवन बीमा:
जीवन बीमा योजना के तहत श्रमिकों और उनके परिवारों को जीवन बीमा की सुविधा प्रदान की जाती है, ताकि असामयिक मृत्यु की स्थिति में परिवार को आर्थिक सुरक्षा मिल सके।
ii. दुर्घटना बीमा (Accidental Insurance):
यह योजना श्रमिकों को दुर्घटना के कारण होने वाली नुकसान की भरपाई प्रदान करती है। इसमें मेडिकल खर्च, मृत्यु लाभ, और विकलांगता लाभ शामिल होते हैं।
iii. वृद्धावस्था पेंशन (Old Age Pension):
यह योजना वृद्धावस्था में काम करने में असमर्थ होने पर श्रमिकों को पेंशन प्रदान करती है, जिससे उन्हें रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा मिलती है।
4. श्रम कल्याण और सामाजिक सुरक्षा का महत्व:
- श्रमिकों का समग्र विकास: श्रमिकों को स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास, रोजगार और समान अधिकार प्रदान करना।
- सामाजिक न्याय: यह सुनिश्चित करना कि श्रमिकों को समाज में समान अवसर मिलें, और जातिवाद, लिंग आधारित भेदभाव को खत्म किया जाए।
- आर्थिक सुरक्षा: श्रमिकों के लिए एक आर्थिक सुरक्षा का जाल तैयार करना ताकि वे कामकाजी जीवन के बाद भी आर्थिक रूप से स्वतंत्र रहें।
निष्कर्ष:
भारत में श्रम कल्याण और सामाजिक सुरक्षा के लिए बनाए गए कानून श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा और उनके कल्याण की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण हैं। यह कानून श्रमिकों को स्वास्थ्य सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा, सामाजिक अधिकार और संवेदनशीलता प्रदान करते हैं, जो उनकी भलाई और समाज में उनकी स्थिति को मजबूत बनाता है।